देवराज गारंगे 3 साल की उम्र से ही मास्टर सुनील सोलंकी और चेतन जाधव के पास से सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेना सुरू किया
आजकल के जिंदगी में छोटे बच्चे बहुत ही वीडियोस गेम मोबाइल लैपटॉप्स सोशल मीडिया पे वक्त बिताना पसंद करते हैं
पर देवराज ने 3 साल की उम्र से ही अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत शुरू कर दी ओर सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेना शुरू किया
भोहोती मेहनत और लगन से उसने प्रैक्टिक करना सुरू कर दिया
और रोजाना 3 कल्लाक प्रैक्टिस करने लगा और मार्शल आर्ट्स की प्रैक्टिस इतने छोटे पन से ही सुरू कर दिया की उस समय में आज कल के बच्चे कोई काला सीखना तो दूर सोच थे भी नहीं है
की ऐसा कुछ काला सीखे ताकि आने वाले समय में वो काम आ सके येस ही देवराज में लगातार प्रैक्टिस करते रहा और काफी सारी टूर्नामेंट खेलने लगा
और अपनी मेहनत से और लगन से जो प्रैक्टिस करता था येस ही टूर्नामेंट खेल खेल के जितने लगा और आगे बढ़ा उसके लाइफ का एक ही गोल था की वो अपने देश के लिए गोल्ड लेकर आए
वह एक दिन जरूर लायेगा देवराज के मास्टर सुनील सोलंकी और चेतन जाधव देवराज के पीछे
काफी लगन से प्रैक्टिस करवा ते थे और देव ने
स्टैट और नेशनल में मेडल प्राप्त करना सुरू करदिया दिन में 2 टाइम प्रैक्टिस करने लगा सुबह और शाम को येसे ही मेहनत करने लगा और आगे बढ़ता लगाया उसके घर वाले देव से खुश हो कर उसको और मोटीवेट करते थे और उसको भोहोत सारी बधाई मिलने लगी लगा तार सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग करता था
इसके घर वाले सुनील सर को बोल दिए ते की अब से ये आपकी जिमेदारी है इस को येसे ट्रेन करो की ये अपने देश का नाम रोशन करे और देव की मेहनत और सिर की मार्गदर्शन से देव ने काफी सारे नेशनल टूर्नामेंट खेला और वर्ल्ड गेम्स भी खेला ये से ही लगातार गोल्ड मेडल प्राप्त करते गया न्यूजपेपर में फोटो आर्टिक लेख सब जगह देव का ही नाम था मास्टर और देव के घर वाले सभी खुश हो गए की
देव ने काफी सारे मेडल प्राप्त कर लिए था धीरे धीरे आगे बड़ने लगा और 8 से 9 साल तक मेहनत करने के बाद आखिर उसने ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर लिए और उसकी प्रैक्टिस अभी हुई जारी ही उसके मन में सिर्फ प्रैक्टिस और स्पोर्ट और पढ़ाई ही है
अभी भी लगातार वो प्रैक्टिस करता ही ही देव के बारे में जितना लिखा जाए उतना काम ही है देव के पापा नहीं है मम्मी है और उसके दादाजी है घर पे उसको सभी भोहत ही प्यार करते है पढ़ाई में भी होशियार था और स्पोर्ट में भी
तायक्वोंडो कला में सबसे महत्वपूर्ण होता है तो वो है किक मरना (किक से हमला करना) येस भुट्ट से अलग किक्स है जो एक सामान्य इंसान को उसे सिख कर अपनी रक्षा कर सकता है
तायक्वोंडो एक भोट पुराण मार्शल आर्ट कौशल, काला है जो दक्षिण कोरिया का है
तायक्वोंडो कला में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है अनुशासन जो हर खेल में होता है एक अनुशासन है जो एक नोर्मा इंसान को दसरे से अलग करता है
तायक्वोंडो आर्ट मी किक सीखना भोट जरुरी ही क्यू की ये आर्ट्स पुरी ट्रै फुल अटैक गेम है जिस मैं ओनली किक यूज होता है|
देवराज का खेलमहकुंभ में मेडल प्राप्त किया
और अलग अलग ओपन चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करके मेडल प्राप्त किया नेशनल टूर्नामेंट में भी अच्छे से प्रैक्टिस करके मेडल प्राप्त किया मुंबई में वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स में गोल्ड मेडल प्राप्त किया दिल्ली में भी नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल प्राप्त किया
ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भी अपना बेस्ट फाइट किया और मेडल प्राप्त किया
इनडोर स्टेडियम नई दिल्ली में अयोजनकिया था राष्ट्रीय जीत कुने दो चैंपियनशिप का उसमे कुबेरनगर के फाइटिंग ताइक्वांडो अकादमी का विद्यार्थी देवराज डी गारंगे 24 से 27 KG मे गोल्ड मेडल पदक जीता
अहमदाबाद में खोकरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सब जूनियर कोडेड गर्ल्स और बॉयस 26था गुजरात स्टेट ताइक्वांडो चैंपियनशिप प्रतियोगिता में देवराज का गोल्ड मेडल
देवराज है ने रोज सुबह शाम प्रैक्टिस के लिए आता था सुभा 2 घंटे और शाम को 2 घंटे येसे लगातार रोज ताइक्वांडो की प्रैक्टिस करता था
और अपना हेल्थ और फिटनेस पे ज्यादा ध्यान देता था इतने छोटे पन से ही वो प्रैक्टिस करने लगा था हर कंपीटिशन में भाग लेता था
उसको ताइक्वांडो की प्रैक्टिस करने में उसको भोहत इंटरेस्ट था और अपनी लगन से दिलसे वर्कआउट करता था क्लास में कोई आए या ना आए पर देवराज रोज आता था और कभी ये से नहीं बोलता था की सर आज तो कोई आया नहीं में अकेले करु ये से कभी शिकायत नहीं करता था
बल्कि अपनी प्रैक्टिस लगा तार दिलसे करता था और पूरे ध्यान से करता था न्यू न्यू टेक्नीक शिखता था डेसिपिन था मोटिवेट था रीस्पेक्टेड था छोटे बड़े की रिस्पेक्ट करता था
सभी से मिल जुल के रहता है 2011 से अभी तक लगा तार सेल्फ डिफेंस की प्रैक्टिस करता रहता है और आज भी फाइट की प्रैक्टिस बच्चो को प्रैक्टिस करवाता था पर एक बेस्ट फाइटर होने के बवजुत उसमे कोई भी घमंड नहीं ही सुभके सात नॉर्मल ही रहता
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